शनिवार, 19 अप्रैल 2008

सारंगढ़ रियासत में जन्-जाग्रति व आन्दोलन का प्रभाव

सारंगढ़ रियासत में जन्-जाग्रति व आन्दोलन का प्रभाव छत्तीसगढ़ की अन्यान्य रियासतों जैसे रायगढ़्,राजनादगांव्,छुईखदान की तुलना में नगन्य रहा है यहाँ पर कोई व्यापक आन्दोलन रियासती जनता द्वारा नही किया गया इस संबँध में यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कीस रियासत की रियाया में राजभक्ति की अधिकता थी राजाओं की नीतियां जन भावनावों के अनुरुप थी जिसकी वजह से उग्र आंदोलन जनता द्वारा नही चलाया गया विलीनीकरण के पुर्व रियासत में थोड़ी बहुत जन्-जागृति थी,इसे निम्नांकित शीर्षकों में दर्शाया जा सकता है
जंगल सत्याग्रह
जिस समय गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन संचालित किया,उस समय इस आंदोलन की लहर रियासतों में भी पंहुचीसन् १९३०मेंसारंगढ़ रियासत में भी आंदोलन का प्रभाव पड़ायंहा जंगल सत्याग्रह में भाग लेने के कारण हरिजन धनीराम और कुंवरमान को गिरफ़्तार किया गया सन्१९३१में गांधी-इरविन समझौते के बाद जब सुखदेव्,भगतसिंह और राजगुरु को फांसी दी गई तो इस समाचार के बाद लुकराम गुप्ता के नेतृत्व में कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था
नगर सुधार समिति की स्थापना(१९३०)
इस रियासत की जनता में राजनीतिक जागृति व चेतना लाने के लिये समय्-समय पर अनेक संस्थाओं की स्थापना होती रही है , जिसके माध्यम से जनता को जागृत करने का कार्य किया गया ऐसी संस्थाओं में नव युवक सुधार समिति भी एक थी इसकी स्थापना १९३७मेंकी गई थी नव युवक सुधार समिति ने नवयुवकों संगठित करने का महत्व पूर्ण कार्य किया
""उमंग्"पत्रिका का प्रकाशन
१९३७में कुछ युवकों ने मिलकर 'युवक संघ' नामक संस्था की स्थापना की थी इस संस्था ने जनता में जागृति लाने के लिये 'उमंग' नामक हस्त लिखित पत्रिका का प्रकाशन किया